Sunday 22 October 2017

छत्तीसगढ : दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने फूंकी ५ गाड़ि‍यां, सड़क खोदी


(प्रतिकात्मक चित्र)
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के भांसी थाना क्षेत्र के कमालूर रेलवे स्टेशन पर निर्माण कार्य में लगे ५ गाड़ि‍यों को नक्सलियों ने आग लगा दी। शुक्रवार को इस वारदात को अंजाम देने के बाद वहीं शनिवार को नक्सलियों ने कटेकल्याण-मरजूम मार्ग को दिनदहाड़े खोदना शुरू कर दिया। सुरक्षा बल को आते देख भाग रहे नक्सलियों में से एक अपने ही लगाए स्पाइक होल में फंसकर घायल हो गया।
कांकेर में नक्सलियों ने पोस्टर लगाकर रावघाट रेल परियोजना का विरोध किया है। पुलिस ने मौके से पोस्टर बरामद किया है। बस्तर के आयजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि कामलूर रेलवे स्टेशन पर जलाए गए वाहनों में चार टिप्पर और एक पोकलेन शामिल थे। यहां रेलवे लाइन के दोहरीकरण का काम चल रहा था। सूचना मिलते ही भांसी थाने की पुलिस मौके पर पहुंची।
रेलवे लाइन के दोहरीकरण में लगे मजदूरों और ग्रामीणों में घटना के बाद से लेकर दहशत का माहौल है। कटेकल्याण-मारजूम मार्ग को बीच से खोदे जाने की पुष्टि करते हुए आयजी सिन्हा ने कहा कि पुलिस पार्टी जैसे ही कटेकल्याण से पचेर्ली मार्ग की तरफ घुसी। रास्ते में लगे नक्सलियों के संतरियों ने सड़क खोद रहे साथियों को चौकन्ना करने के लिए पटाखे फोड़ने शुरू कर दिया।
पुलिस पार्टी को रोकने के लिए नक्सलियों ने रास्ते मे बिजली के पोल भी डाल रखे थे। पोल को हटाते हुए जब तक फोर्स पहुंची, नक्सली सड़क खोदने के समान रापा, तगाड़ी, गैती, लकड़ी का बेलचा, सब्बल, छोड़कर जंगलों में भाग गए।
ग्रामीणों के अनुसार, पुलिस पार्टी के अचानक धावा बोलने से घबराए नक्सली अपने ही स्पाइक होल में जा फंसे। इसमें कटेकल्याण एरिया कमेटी के एक नक्सली का पैर बुरी तरह जख्मी हो गया।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र मन में आते है, जैसे कि :
१. आज भारत में जगह-जगह जिहादी आतंकवादियों के हमले हो रहे है । जम्मू-कश्मीर में तो आए दिन या तो पाकिस्तानी सेना या आतंकी हमले करते ही है । इन हमलों में आजतक सहस्रो भारतीयों को अपनी जान से हाथ धोना पडा है, तो कर्इ सहस्र भारतीय इसमें घायल हो चुके है । कश्मीर में एैसी स्थिती है कि, वहां छोटे छोटे बच्चे भी भारतीय सैनिकों के सामने भारतविरोधी नारे लगाते है । कुछ जगहों पर तो यह भी ध्यान में आया है कि, सैनिकोंपर होनेवाली पत्थरबाजी में बच्चे भी सहभागी होते है ।
२. जिहादी आतंकवाद के बाद देश के सामने सबसे बडी समस्या है नक्षलवाद । आज भारत के कर्इ जिलोंपर इनकी ही सत्ता है एैसा प्रतीत होता है । नक्सलियों के कारण न जाने कितने आदिवासी तथा जवानों को प्राण चले गए है । नक्सली अपने आसपास के क्षेत्रों से बच्चों को उठाकर जबरन नक्सली हिंसा में सहभाग लेने लिए बाध्य करते है ।
३. यदि इस समस्या का हमें समाधान करना है, तो सरकार को जिहादी आतंकवाद तथा नक्सलवाद को जड से उखाड देने के लिए ठोस प्रयास करना आवश्यक है । हमारे सुरक्षा बल यह करने में अवश्य ही सक्षम है, बस उन्हें आवश्यकता है राजनेताआें के आदेश की ! हर भारतीय नागरिक यही अपेक्षा वर्तमान के सरकार से रखता है । नहीं तो जिहादी आतंकवादी तथा नक्सली हमारे देश को विनाश की आेर ले जाने में सफल हो जाएंगे ।

Friday 20 October 2017

CUTTACK RE NAXSAL


‘समाजवाद’ का पुरस्कार करनेवाले माओवादी नेताओं के पास है करोडों की दौलत

बिहार की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि बिहार और झारखंड के २ शीर्ष माओवादी करोडपति हैं। वहीं उन माओवादियों द्वारा समाज में हाशिए पर पडे लोगों के लिए संघर्ष का दावा किया जाता है। हालांकि, संघर्ष का दावा करने वाले दोनों माओवादियों का परिवार कार्यकर्ताओं द्वारा जबरन वसूली से इकट्ठा किए गए पैसे से आरामदायक जिंदगी जी रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के पास रिपोर्ट की एक प्रति है, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार और झारखंड में सक्रिय शीर्ष माओवादी संदीप यादव और प्रद्युम्न शर्मा के बेटे प्रतिष्ठित कॉलेज में पढ़ते हैं, खुद की स्पोर्ट्स बाइक है और हवाई जहाज में यात्रा करते हैं। संदीप, बिहार झारखंड विशेष क्षेत्र कमिटी का प्रभारी है। संदीप पर ८८ मामले दर्ज हैं और ५ लाख रुपये का इनाम घोषित है। उसका भाई धनिक भी माओवादी है। प्रद्युम्न पर ५१ केस दर्ज हैं और उस पर ५० हजार रुपये का इनाम है। वह भी विशेष क्षेत्र कमिटी का सदस्य है।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है, जैसे कि :
१. जहां माआेवादी नेताआें के परिवार के सदस्य एेषोअाराम की जिंदगी जी रहे है, वहीं कर्इ माआेवादी कार्यकर्ता या उनके परिवार के लोग ठीक से खाना भी प्राप्त नहीं कर सकते । कर्इ बार यह बाते सामने आर्इ है की माआेवादी नेताआेंद्वारा महिला नक्सलियों का शोषण भी किया जाता है । क्या यही है माआेवादियों का ‘समाजवाद’ ? यही माआेवादी समाज के गरीब तथा पिछडे वर्ग के हक के लिए लडार्इ के तर्क बताते है ।
२. आज जिहादी आतंकवाद के बाद नक्सलवाद भारत के सुरक्षा के लिए बडी समस्या बन चुका है । अब भारतीय नागरिकों की यही अपेक्षा है की सभी संबंधित राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार ने मिलकर अब नक्सलवाद को जड से उखाडने हेतु कडे प्रयास करने चाहिए ।
३. साथ ही सरकारने एेसे जबरन वसूली कर करोडपती बननेवाले नेताआें पर कारवार्इ करनी चाहिए, एेसी जनता की अपेक्षा है ।

Monday 9 October 2017

नक्सलियों और अलगाववादियों द्वारा बच्चों की भर्ती पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जताई चिंता




संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने अलगाववादियों और नक्सलियोंद्वारा बच्चों की भर्ती किए जाने पर चिंता जाहिर की है और कहा है कि सशस्त्र समूहों और सरकार के बीच हिंसा की घटनाओं से वह लगातार प्रभावित होते हैं, खासकर छत्तीसगढ, झारखंड और जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में । ‘चिल्ड्रेन इन आर्म्ड कॉन्फलिक्ट’ पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को लगातार सशस्त्र समूहद्वारा बच्चों के इस्तेमाल और नियुक्ति की खबर प्राप्त हो रही है जिसमें नक्सली समूह भी शामिल हैं, खासकर छत्तीसगढ और झारखंड में ।
सरकारी सूचना के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में सशस्त्र समूहोंद्वारा कम से कम ३० स्कूलों को जलाया गया और आंशिक रूप से नुकसान पहुंचाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके साथ ही सरकारी रिपोर्ट इस बात की भी पुष्टि करते हैं कि इन क्षेत्रों में कई हफ्तों तक चार स्कूलों का सैन्यद्वारा इस्तेमाल किया गया। खबरों के अनुसार, सशस्त्र समूह बच्चों को नियुक्त करने के लिए उनका अपहरण कर अभिभावकों को डराते हैं जो उसके बाद सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और संदेशवाहकों, मुखबिरों और गार्ड के तौर पर बाल दस्तों में सेवाएं देते हैं ।
उन्होंने निरीक्षण और रिपोर्टिंग पर लगे प्रतिबंधों का हवाला देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र शसस्त्र समूहोंद्वारा बच्चों के इस्तेमाल और नियुक्ति पर इन रिपोर्टों को प्रमाणित करने में असमर्थ हैं । संयुक्त राष्ट्र ने सशस्त्र समूहोंद्वारा आत्मघाती हमलों के लिए बच्चों की नियुक्ति और इस्तेमाल पर भी चिंता जताई है। इसमें मदरसे के बच्चे भी शामिल हैं । उन्होंने संघर्षरत क्षेत्रों में सभी पक्षों को संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय मानवीय एवं मानवाधिकार कानूनों तथा सुरक्षा परिषद् के संबंधित प्रस्तावों के आधार पर अपने दायित्वों से बच्चों की सुरक्षा को बेहतर बनाने की अपील की ।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र मन में आते है, जैसे कि :
१. आज भारत में कर्इ जगह जिहादी आतंकवादियों ने हमले किये है । जम्मू-कश्मीर में तो आए दिन या तो पाकिस्तानी सेना या आतंकी हमले करते ही है । इन हमलों में आजतक सहस्रो भारतीयों को अपनी जान से हाथ धोना पडा है, तो कर्इ सहस्र भारतीय इसमें घायल हो चुके है । कश्मीर में एैसी स्थिती है की वहां छोटे छोटे बच्चे भी भारतीय सैनिकों के सामने भारतविरोधी नारे लगाते है । कुछ जगहों पर तो यह भी ध्यान में आया है की बच्चे सैनिकोंपर पत्थरबाजी में भी सहभागी होते है ।
२. जिहादी आतंकवाद के बाद देश के सामने सबसे बडी समस्या है नक्षलवाद । आज भारत के कर्इ जिलोंपर इनकी ही सत्ता है एैसा प्रतीत होता है । नक्सलियों के कारण न जाने कितने आदिवासी तथा जवानों को प्राण चले गए है । नक्सली अपने आसपास के क्षेत्रों से बच्चों को उठाकर जबरन नक्सली हिंसा में सहभाग लेने लिए बाध्य करते है ।
३. यदि इस समस्या का हमें समाधान करना है, तो सरकार को जिहादी आतंकवाद तथा नक्सलवाद को जड से उखाड देने के लिए कठीन प्रयास करना आवश्यक है । हमारे सुरक्षा बल यह करने में अवश्य ही सक्षम है, बस उन्हें आवश्यकता है राजनेताआें के आदेश की ! हर भारतीय नागरिक यही अपेक्षा वर्तमान के सरकार से रखता है । नहीं तो जिहादी आतंकवादी तथा नक्सली हमारे देश के आनेवाली पिढीयों को इसी प्रकार गुमराह कर उनसे देशविरोधी कारवार्इ करवाकर लेते रहेंगे ।