बिहार की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि बिहार और झारखंड के २ शीर्ष माओवादी करोडपति हैं। वहीं उन माओवादियों द्वारा समाज में हाशिए पर पडे लोगों के लिए संघर्ष का दावा किया जाता है। हालांकि, संघर्ष का दावा करने वाले दोनों माओवादियों का परिवार कार्यकर्ताओं द्वारा जबरन वसूली से इकट्ठा किए गए पैसे से आरामदायक जिंदगी जी रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के पास रिपोर्ट की एक प्रति है, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार और झारखंड में सक्रिय शीर्ष माओवादी संदीप यादव और प्रद्युम्न शर्मा के बेटे प्रतिष्ठित कॉलेज में पढ़ते हैं, खुद की स्पोर्ट्स बाइक है और हवाई जहाज में यात्रा करते हैं। संदीप, बिहार झारखंड विशेष क्षेत्र कमिटी का प्रभारी है। संदीप पर ८८ मामले दर्ज हैं और ५ लाख रुपये का इनाम घोषित है। उसका भाई धनिक भी माओवादी है। प्रद्युम्न पर ५१ केस दर्ज हैं और उस पर ५० हजार रुपये का इनाम है। वह भी विशेष क्षेत्र कमिटी का सदस्य है।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है, जैसे कि :
१. जहां माआेवादी नेताआें के परिवार के सदस्य एेषोअाराम की जिंदगी जी रहे है, वहीं कर्इ माआेवादी कार्यकर्ता या उनके परिवार के लोग ठीक से खाना भी प्राप्त नहीं कर सकते । कर्इ बार यह बाते सामने आर्इ है की माआेवादी नेताआेंद्वारा महिला नक्सलियों का शोषण भी किया जाता है । क्या यही है माआेवादियों का ‘समाजवाद’ ? यही माआेवादी समाज के गरीब तथा पिछडे वर्ग के हक के लिए लडार्इ के तर्क बताते है ।
२. आज जिहादी आतंकवाद के बाद नक्सलवाद भारत के सुरक्षा के लिए बडी समस्या बन चुका है । अब भारतीय नागरिकों की यही अपेक्षा है की सभी संबंधित राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार ने मिलकर अब नक्सलवाद को जड से उखाडने हेतु कडे प्रयास करने चाहिए ।
३. साथ ही सरकारने एेसे जबरन वसूली कर करोडपती बननेवाले नेताआें पर कारवार्इ करनी चाहिए, एेसी जनता की अपेक्षा है ।
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