Thursday 30 August 2018

वामपंथी बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी : पुणे पुलिस का दावा- पर्याप्त सबूत हैं, कश्मीरी अलगाववादियों से थे संबंध

नई देहली : माओवादियों से संबंध रखने के संदेह में गिरफ्तार किए ५ वामपंथी कार्यकर्ताओं को लेकर पुणे पुलिस ने बुधवार को कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं ! पुलिस ने कहा कि कुछ सबूतों से पता चलता है कि शीर्ष राजनीतिक पदाधिकारियों को निशाना बनाने की साजिश थी। इसके अलावा पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों के कश्मीरी अलगाववादियों से संबंध थे। कार्यकर्ताओं ने राजनीतिक व्यवस्था में गहरी असहिष्णुता दिखाई।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को राहत देते हुए उनकी ट्रांजिट रिमांड की अनुमती नहीं दी ! उच्चतम न्यायालय ने इन्हें ६ सितंबर तक घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया है। इसके साथ ही इन गिरफ्तारियों के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य पुलिस को नोटिस जारी किए। न्यायालय ने उनसे ५ सितंबर तक जवाब देने को कहा है।
इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई करते हुए कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है। यदि आप सेफ्टी वाल्व की सुविधा नहीं देंगे तो प्रेशर कुकर फट जाएगा !
मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस ने देश के कई हिस्सों में छापेमारी कर हैदराबाद से तेलुगू कवि वरवर राव, मुंबई से वेरनान गोंसाल्विज और अरूण फरेरा, फरीदाबाग से ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और देहली से सिविल लिबर्टी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था।
महाराष्ट्र पुलिस ने इन सभी को पिछले साल ३१ दिसंबर को आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव-भीमा गांव में भड़की हिंसा के मामले में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।
स्त्रोत : टाईम्स नाऊ

Wednesday 29 August 2018

ଗିରଫଙ୍କୁ ଗୃହବନ୍ଦୀ ରଖାଯିବ


ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ ହତ୍ୟା ଷଡ଼ଯନ୍ତ୍ର ଅଭିଯୋଗ : ବାର୍ବରା ରାଓଙ୍କ ସମେତ ୭ ଗିରଫ


ହାଇଦ୍ରାବାଦ, ୨୮/୮ : ପୁନେ ପୁଲିସ ଦ୍ୱାରା ଦେଶର ୭ଟି ସ୍ଥାନରେ ଚଢ଼ଉ କରାଯାଇ ମାଓ ପୃଷ୍ଠପୋଷକ ତଥା ବିପ୍ଲବୀ କବି ବାର୍ବରା ରାଓଙ୍କ ସମେତ ୭ଜଣଙ୍କୁ ଗିରଫ କରାଯାଇଛି । ହାଇଦ୍ରାବାଦ,ଗୋଆ , ମୁମ୍ବଇ, ଦିଲ୍ଲୀ, ରାଞ୍ଚି, ଫରିଦାବାଦରେ ଚଢ଼ଉ କରି ଏହି ଗିରଫ କରାଯାଇଛି । ଚଢ଼ଉ ସମୟରେ ବହୁ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଦସ୍ତାବିଜ୍‍ ମଧ୍ୟ ମିଳିଛି । କିଛି ଦିନ ପୂର୍ବେ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ ହତ୍ୟା ପାଇଁ ଧମକ ପୂର୍ଣ୍ଣ ଚିଠି ଗୁଇନ୍ଦା ବିଭାଗର ହସ୍ତଗତ ହୋଇଥିଲା । ଏହି ଚିଠି ଆଧାରରେ ଷଡଯନ୍ତ୍ରକାରୀଙ୍କ ନିକଟରେ ପହଞ୍ଚିଥିଲା ପୁନେ ପୁଲିସ । ଏଥି ସହିତ ଭୀମ କୋରେଗାଓଁ ଗ୍ରାମ ଘଟଣାର ସମ୍ପର୍କ ଥିବା ଜଣାପଡିଛି । ମହାରାଷ୍ଟ୍ରର ଭୀମ କୋରେଗାଓଁ ଗ୍ରାମରେ ଗତ ବର୍ଷ ଡିସେମ୍ବର ୩୧ ତାରିଖରେ ଆୟୋଜିତ ୟଲଗାର ପରିଷଦ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ସମୟରେ ବ୍ୟାପକ ହିଂସାକାଣ୍ଡ ହୋଇଥିଲା  । ଏହି ଘଟଣାର ଚେର ସୁଦୂର ଆନ୍ଧ୍ରର ଘଞ୍ଚ ଜଙ୍ଗଲ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଲମ୍ବିଥିଲା  । ବାମପନ୍ଥୀ ଉଗ୍ରବାଦର ପୃଷ୍ଠପୋଷକ ଏବଂ ବିପ୍ଲବୀ କବି ବାର୍ବରା ରାଓ ଏବଂ ତାଙ୍କ ସହଯୋଗୀ ସୁଧା ଭାରଦ୍ୱାଜ ଦଳିତମାନଙ୍କୁ ଉସୁକାଇବା ସୂଚନା ମିଳିଥିଲା । ସେମାନଙ୍କ ସହିତ ଲିଙ୍କ ଥିବା ଭେର୍ନନ ଗୋଞ୍ଜାଲଭିସ ଏବଂ ଅରୁଣ ଫରିୟାରାଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ଆଜି ମୁମ୍ବାଇରୁ ଗିରଫ କରାଯାଇଛି  । ଟ୍ରେଡ୍‍ ୟୁନିୟନ ନାମରେ ମାଓ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ ପାଇଁ ଫଣ୍ଡ ସଂଗ୍ରହ କରୁଥିବା ସୁଧା ଭାରଦ୍ୱାଜଙ୍କୁ ଫରିଦାବାଦରୁ ଏବଂ ସିଭିଲ୍‍ କର୍ମକର୍ତ୍ତା ଭାବେ ପରିଚୟ ଦେଇ ମାଓ ଷଡ଼ଯନ୍ତ୍ରରେ ଲିପ୍ତ ଥିବା ଗୌତମ ନଭଲାଖାଙ୍କୁ ଦିଲ୍ଲୀରୁ ଗିରଫ କରାଯାଇଛି  । ଏହି ଅଭିଯୁକ୍ତମାନେ କେବଳ ମାଓବାଦୀ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପରେ ଲିପ୍ତ ନଥିଲେ ବରଂ ସେମାନେ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦିଙ୍କୁ ହତ୍ୟା ପାଇଁ ଷଡ଼ଯନ୍ତ୍ର ରଚିଥିବା ଗୁଇନ୍ଦା ବିଭାଗ ସୂଚନା ପାଇଥିଲା । ଭୀମ କୋରେଗାଓଁ ଗ୍ରାମ ଘଟଣାରେ ସେମାନଙ୍କ ସକ୍ରୀୟ ଭୂମିକା ଗଟଣାକୁ ଜଟିଳ କରିଥିଲା । ପ୍ରକାଶଥାଉକି ୧୮୧୮ରେ ଆଜକୁ ପ୍ରାୟ ୨୦୦ ବର୍ଷ ତଳେ ଭୀମା କୋରେଗାଓଁ ଯୁଦ୍ଧ ହୋଇଥିଲା  । ଏହି ଯୁଦ୍ଧରେ ମରାଠାମାନଙ୍କ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଇଂରେଜମାନେ ସଶସ୍ତ୍ର ଆକ୍ରମଣ କରିଥିଲେ  । ହେଲେ ବିଡ଼ମ୍ବନାର ବିଷୟ ହେଉଛି ଯେ ଏହି ଯୁଦ୍ଧରେ ଦଳିତମାନେ ଇଂରେଜ ସରକାରଙ୍କ ସହିତ ସାମିଲ ହୋଇଥିଲେ  । ତେଣୁ ସେହି ଘଟଣାକୁ ନେଇ ସ୍ଥାନୀୟ ଦଳିତମାନଙ୍କୁ ମରାଠାମାନେ ଭିନ୍ନ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଦେଖିଥାନ୍ତି  । ଗତବର୍ଷ ଡିସେମ୍ବର ମାସରେ ଭୀମା କୋରେଗାଓଁ ଯୁଦ୍ଧ ୨୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ତ୍ତି ପାଳନ ଅବସରରେ ମହାରାଷ୍ଟ୍ରରେ ଦଳିତ ଓ ସବର୍ଣ୍ଣଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥିବା ଗୋଷ୍ଠୀଗତ ସଂଘର୍ଷ  । ଏହି ସଂଘର୍ଷର ବାରୁଦରେ ନିଆଁ ଲଗାଇଥିଲେ ବାର୍ବରା ରାଓ ଏବଂ ତାଙ୍କ ଅନ୍ୟ ସହଯୋମାଗୀମାନେ  ।

भीमा कोरेगांव हिंसा : जानें कौन हैं वो ५ वामपंथी विचारक जिन्हें पुलिस ने किया गिरफ्तार

भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में मंगलवार को पुणे पुलिस की कई टीमों ने बडी कार्रवाई करते हुए देश भर में कई शहरों में एक साथ मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों, वकीलों के घरों पर छापेमारी कर पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। छापेमारी के दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं के फोन, कैमरे, लैपटॉप, सिम कार्ड जैसे सामान और उनके घर से कई दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं।
पुलिस के अनुसार, ३१ दिसंबर २०१७ को पुणे में यलगार परिषद आयोजित किया गया था। जिसमें इन प्रमुख कार्यकर्ताओं द्वारा भडकाऊ टिप्पणी करने के बाद जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुई थी।
छापेमारी के बाद पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं और वामपंथी विचारकों वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण परेरा, गौतम नवलखा, वर्णन गोन्साल्वेज को गिरफ्तार किया है। पांचों आरोपियों को सेक्शन १५३ ए, ५०५(१) बी, ११७, १२०बी, १३, १६, १८, २०, ३८, ३९, ४० और UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया है।
ये हैं मामले में गिरफ्तार पांंच लोग कौन हैं . . .

वरवर राव

वरवर राव को उनके हैदराबाद स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। उन्हें तेलुगू साहित्य के एक प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक भी माना जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साजिश के सिलसिले में पुणे पुलिस वरवर राव के घर की तलाशी ले चुकी है।
बता दें कि राव को उनके लेखन और राजनीतिक गतिविधियों के लिए पहली बार गिरफ्तार नहीं किया गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने १९७३ में उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था, परंतु एक महीने जेल में बिताने बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था। रखरखाव और आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (एमआईएसए) के तहत इमरजेंसी के दौरान राव को फिर से गिरफ्तार किया गया था।

सुधा भारद्वाज

भारद्वाज नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं, जो छत्तीसगढ में लगभग तीन दशकों तक काम कर रही हैं। वह छत्तीसगढ में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के महासचिव भी हैं। पुणे पुलिस ने मंगलवार को उनके घर पर छापेमारी कर उन्हें आईपीसी की धारा १५३ ए ५०५(१) बी, ११७, १२० बी के तहत गिरफ्तार किया गया है।

अरुण परेरा और वर्णन गोन्साल्वेज

अरुण परेरा और वर्णन गोन्साल्वेज मुंबई बेस्ड कार्यकर्ता हैं। इसके पहले गोन्साल्वेज  को २००७ में गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, २०१३ में उन्हें रिलीज कर दिया गया था।
अरुण परेरा बिजनेस ऑर्गनाइजेशन के पूर्व प्रोफेसर हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें केंद्रीय समिति के सदस्य और नक्सलियों के महाराष्ट्र राज्य समिति के पूर्व सचिव के रूप में लेबल किया। वो २० मामलों में आरोपी थे, परंतु उन्हें सबूत की कमी की वजह से १७ मामलों में बरी कर दिया गया था।

गौतम नवलखा

नवलाखा भी एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और एक पत्रकार है और लंबे समय तक पीयूसीएल में शामिल हैं। उन्होंने मानव अधिकारों के मुद्दों पर कश्मीर और छत्तीसगढ में काम किया है। उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकार और न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पीपुल्स ट्रिब्यूनल के संयोजक के रूप में भी कार्य किया है। २०११ में नवलखा को श्रीनगर एयरपोर्ट पर कश्मीर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था और उन्हें राज्य सरकार ने वापस देहली भेज दिया था।
स्त्रोत : न्युज १८

भीमा कोरेगांव हिंसा : जानें कौन हैं वो ५ वामपंथी विचारक जिन्हें पुलिस ने किया गिरफ्तार

भीमा कोरेगांव हिंसा : जानें कौन हैं वो ५ वामपंथी विचारक जिन्हें पुलिस ने किया गिरफ्तार

भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में मंगलवार को पुणे पुलिस की कई टीमों ने बडी कार्रवाई करते हुए देश भर में कई शहरों में एक साथ मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों, वकीलों के घरों पर छापेमारी कर पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। छापेमारी के दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं के फोन, कैमरे, लैपटॉप, सिम कार्ड जैसे सामान और उनके घर से कई दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं।
पुलिस के अनुसार, ३१ दिसंबर २०१७ को पुणे में यलगार परिषद आयोजित किया गया था। जिसमें इन प्रमुख कार्यकर्ताओं द्वारा भडकाऊ टिप्पणी करने के बाद जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुई थी।
छापेमारी के बाद पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं और वामपंथी विचारकों वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण परेरा, गौतम नवलखा, वर्णन गोन्साल्वेज को गिरफ्तार किया है। पांचों आरोपियों को सेक्शन १५३ ए, ५०५(१) बी, ११७, १२०बी, १३, १६, १८, २०, ३८, ३९, ४० और UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया है।
ये हैं मामले में गिरफ्तार पांंच लोग कौन हैं . . .

वरवर राव

वरवर राव को उनके हैदराबाद स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। उन्हें तेलुगू साहित्य के एक प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक भी माना जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साजिश के सिलसिले में पुणे पुलिस वरवर राव के घर की तलाशी ले चुकी है।
बता दें कि राव को उनके लेखन और राजनीतिक गतिविधियों के लिए पहली बार गिरफ्तार नहीं किया गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने १९७३ में उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था, परंतु एक महीने जेल में बिताने बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था। रखरखाव और आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (एमआईएसए) के तहत इमरजेंसी के दौरान राव को फिर से गिरफ्तार किया गया था।

सुधा भारद्वाज

भारद्वाज नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं, जो छत्तीसगढ में लगभग तीन दशकों तक काम कर रही हैं। वह छत्तीसगढ में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के महासचिव भी हैं। पुणे पुलिस ने मंगलवार को उनके घर पर छापेमारी कर उन्हें आईपीसी की धारा १५३ ए ५०५(१) बी, ११७, १२० बी के तहत गिरफ्तार किया गया है।

अरुण परेरा और वर्णन गोन्साल्वेज

अरुण परेरा और वर्णन गोन्साल्वेज मुंबई बेस्ड कार्यकर्ता हैं। इसके पहले गोन्साल्वेज  को २००७ में गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, २०१३ में उन्हें रिलीज कर दिया गया था।
अरुण परेरा बिजनेस ऑर्गनाइजेशन के पूर्व प्रोफेसर हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें केंद्रीय समिति के सदस्य और नक्सलियों के महाराष्ट्र राज्य समिति के पूर्व सचिव के रूप में लेबल किया। वो २० मामलों में आरोपी थे, परंतु उन्हें सबूत की कमी की वजह से १७ मामलों में बरी कर दिया गया था।

गौतम नवलखा

नवलाखा भी एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और एक पत्रकार है और लंबे समय तक पीयूसीएल में शामिल हैं। उन्होंने मानव अधिकारों के मुद्दों पर कश्मीर और छत्तीसगढ में काम किया है। उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकार और न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पीपुल्स ट्रिब्यूनल के संयोजक के रूप में भी कार्य किया है। २०११ में नवलखा को श्रीनगर एयरपोर्ट पर कश्मीर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था और उन्हें राज्य सरकार ने वापस देहली भेज दिया था।
स्त्रोत : न्युज १८

Friday 24 August 2018

छत्तीसगढ : बस्तर में माओवादियों ने काले रंग का बैनर लगाकर २६ जनवरी को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाने का किया ऐलान !


कांकेर : छत्तीसगढ के कांकेर जिले में नक्सलियों का नया चेहरा सामने आया है ! यहां उन्होने कई स्थानों पर काले रंग के बैनर लगाए है । इन बैनर्स में २६ जनवरी गणतंत्र दिवस को काला दिवस के रूप में मनाने की अपील की गई है !
बता दें कि अंतागढ क्षेत्र के भैंसासुर गांव के नजदीक नक्सलियोंद्वारा काले रंग के बैनर बांधे गए हैं । इनमें भाकपा माओवादीद्वारा २६ जनवरी का विरोध करने के साथ ही सरकार पर चारगांव व रावघाट खदान के नाम पर जल, जंगल और जमीन हडपने का आरोप लगाया गया है !
आमतौर पर नक्सली बंद या शहीद सप्ताह के दौरान माओवादी लाल रंग के बैनर बांधते रहे हैं, परंतु इस बार उन्होंने काले रंग के बैनर का उपयोग किया है ! दरअसल, काले रंग को विरोध या असहमति से जोड कर देखा जाता रहा है । लोकतान्त्रिक व्यवस्था में हडताल या प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियोंद्वारा काले रंग की पट्टी लगाकर सांकेतिक रूप से शासन-प्रशासन का विरोध करना आम है ।
ऐसे में लोकतंत्र पर आस्था नहीं रखनेवाले नक्सलियों के इस नए पैंतरे से जानकार भी हैरान हैं ! बता दें कि, १५ अगस्त व २६ जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों का माओवादी शुरू से विरोध करते रहे हैं । उनकेद्वारा विरोध स्वरूप बस्तर के बीहडों में काले झंडे फहराए जाने की खबरें भी आती रही है !
स्त्रोत : खबर बस्तर