भीमा कोरेगांव हिंसा : जानें कौन हैं वो ५ वामपंथी विचारक जिन्हें पुलिस ने किया गिरफ्तार
भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में मंगलवार को पुणे पुलिस की कई टीमों ने बडी कार्रवाई करते हुए देश भर में कई शहरों में एक साथ मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों, वकीलों के घरों पर छापेमारी कर पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। छापेमारी के दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं के फोन, कैमरे, लैपटॉप, सिम कार्ड जैसे सामान और उनके घर से कई दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं।
पुलिस के अनुसार, ३१ दिसंबर २०१७ को पुणे में यलगार परिषद आयोजित किया गया था। जिसमें इन प्रमुख कार्यकर्ताओं द्वारा भडकाऊ टिप्पणी करने के बाद जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुई थी।
छापेमारी के बाद पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं और वामपंथी विचारकों वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण परेरा, गौतम नवलखा, वर्णन गोन्साल्वेज को गिरफ्तार किया है। पांचों आरोपियों को सेक्शन १५३ ए, ५०५(१) बी, ११७, १२०बी, १३, १६, १८, २०, ३८, ३९, ४० और UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया है।
ये हैं मामले में गिरफ्तार पांंच लोग कौन हैं . . .
वरवर राव
वरवर राव को उनके हैदराबाद स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। उन्हें तेलुगू साहित्य के एक प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक भी माना जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साजिश के सिलसिले में पुणे पुलिस वरवर राव के घर की तलाशी ले चुकी है।
बता दें कि राव को उनके लेखन और राजनीतिक गतिविधियों के लिए पहली बार गिरफ्तार नहीं किया गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने १९७३ में उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था, परंतु एक महीने जेल में बिताने बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था। रखरखाव और आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (एमआईएसए) के तहत इमरजेंसी के दौरान राव को फिर से गिरफ्तार किया गया था।
सुधा भारद्वाज
भारद्वाज नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं, जो छत्तीसगढ में लगभग तीन दशकों तक काम कर रही हैं। वह छत्तीसगढ में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के महासचिव भी हैं। पुणे पुलिस ने मंगलवार को उनके घर पर छापेमारी कर उन्हें आईपीसी की धारा १५३ ए ५०५(१) बी, ११७, १२० बी के तहत गिरफ्तार किया गया है।
अरुण परेरा और वर्णन गोन्साल्वेज
अरुण परेरा और वर्णन गोन्साल्वेज मुंबई बेस्ड कार्यकर्ता हैं। इसके पहले गोन्साल्वेज को २००७ में गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, २०१३ में उन्हें रिलीज कर दिया गया था।
अरुण परेरा बिजनेस ऑर्गनाइजेशन के पूर्व प्रोफेसर हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें केंद्रीय समिति के सदस्य और नक्सलियों के महाराष्ट्र राज्य समिति के पूर्व सचिव के रूप में लेबल किया। वो २० मामलों में आरोपी थे, परंतु उन्हें सबूत की कमी की वजह से १७ मामलों में बरी कर दिया गया था।
गौतम नवलखा
नवलाखा भी एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और एक पत्रकार है और लंबे समय तक पीयूसीएल में शामिल हैं। उन्होंने मानव अधिकारों के मुद्दों पर कश्मीर और छत्तीसगढ में काम किया है। उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकार और न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पीपुल्स ट्रिब्यूनल के संयोजक के रूप में भी कार्य किया है। २०११ में नवलखा को श्रीनगर एयरपोर्ट पर कश्मीर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था और उन्हें राज्य सरकार ने वापस देहली भेज दिया था।
स्त्रोत : न्युज १८
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