Friday 28 September 2018

भीमा-कोरेगांव हिंसा : सर्वोच्च न्यायालय ने पांचों नक्सली कार्यकर्ताओं की नजरबंदी ४ हफ्ते बढाई


  • पुणे पुलिस ने २८ अगस्त को पांचों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था
  • पुणे पुलिस का दावा – हिंसा फैलाने की साजिश रच रहे थे गिरफ्तार कार्यकर्ता
  • न्यायालय ने नजरबंदी में रखने का दिया था आदेश
नई दिल्ली – सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में फैसला सुनाया। इसमें पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजरबंदी चार हफ्ते के लिए बढ़ा दी और मामले की एसआईटी से जांच कराने की मांग खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि पांचों कार्यकर्ता निचली अदालत से राहत की गुहार लगा सकते हैं। पुणे पुलिस ने २८ अगस्त को सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव और वेरनन गोंजाल्विस को हिरासत में लिया था। इन पर हिंसा भडकाने की साजिश रचने का आरोप है।
स्त्रोत : भास्कर

४ सितंबर २०१८

भीमा कोरेगांव : मुठभेड में मारे गए नक्सली कमांडर के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे वरवरा राव

वरवरा राव उन पांच कार्यकर्ताओं में शामिल हैं जिन्हें पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा में भूमिका होने के कारण से गिरफ्तार किया था। हालांकि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें घर में नजरबंद करके रखा गया है। वरवरा राव एक नक्सली कमांडर के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे जो कि पुलिस मुठभेड में मारा गया था। एक अंग्रेजी अखबार ने सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार लिखा है कि सीपीआई (माओवादी) कमांडर के अंतिम संस्कार में राव ने शिरकत की थी। इस माओवादी कमांडर को पुलिस ने महाराष्ट्र के गढचिरौली में अप्रैल में हुई मुठभेड में मार गिराया था।
सूत्रों ने आगे बताया कि, वह उस बैठक का हिस्सा थे जो सीपीआई (माओवादी) डिविजनल समिति के सदस्य कापुका प्रभाकर की पहली जयंती के मौके पर आयोजित की गई थी। कापुका को २०१६ में सुरक्षाबलों ने ओडिशा के मल्कानगिरी मुठभेड में मार गिराया था।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि राव के दस्तावेज बताते हैं कि वह माओवादी फ्रंट रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और माओवादियों सहयोगियों के मुख्य समन्वयक हैं। उनकी उपस्थिति श्रीकांत उर्फ श्रीनू, दक्षिण गढचिरौली डिविजनल समिति के सचिव के अंतिम संस्कार में दर्ज थी। यह अंतिम संस्कार २५ अप्रैल को तेलंगाना के जयशंकर-भूपलपल्ली में हुआ था। श्रीकांत उन ३८ नक्सलियों में शामिल था जिसे कि २२ अप्रैल को मार गिराया गया था। गृहमंत्रालय ने इस ऑपरेशन को बेहद सफल करार दिया था।
२४ अक्टूबर २०१७ को राव उस स्मरणोत्सव बैठक में शामिल हुए थे जिसे कि आरडीएफ, रिवोल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन और तेलंगाना प्राजा फ्रंट ने कापुका प्रभाकर की पहली जयंती के मौके पर आयोजित किया था। प्रभाकर सीपीआई (माओवादी) को इसी दिन २०१६ में एंटी-एलडब्ल्यूई ऑपरेशन में ओडिशा के मल्कानगिरी में मार गिराया गया था।
 स्त्रोत : अमर उजाला

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